2 फरवरी 2020
हमारी यात्रा गुलाबी नगरी जयपुर से श्री कृष्ण जन्मभूमि वृंदावन(मथुरा) ट्रेन के द्वारा।
आज हम तीन दोस्तों ने वृंदावन जाने का प्लान बनाया और हमारा प्लान दिन में ट्रेन से जाने का था जिससे रात 8 बजे तक मथुरा और रात को आराम करके अगली सुबह दर्शन और घूमने चलेंगे। और श्री कृष्ण जन्म भूमि, मथुरा , गोकुल धाम, वृंदावन, घूम कर आ जाएंगे इस बीच यात्रा में रोचक घटनाएं हूं चलिए यात्रा प्रारंभ करते है।
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Vrindavan (Mathura)
2 February 2020
2 February 2020
Today we three friends made a plan to go to Vrindavan and our plan was to go by train during the day so that Mathura would be relaxed till 8 in the night and would visit Darshan and roam the next morning. And Shri Krishna will come to visit the land of birth, Mathura, Gokul Dham, Vrindavan, meanwhile I am going to have interesting events in the journey.
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हम तीनो ने अपना अपना सामान अपने अपने बेग में डाल दिया और हम तैयार थे। दोपहर के 2:30 बजे ओला से कैब बुक करवाई और कैब आए तब तक हमने रूम लॉक करके रूम के बाहर आ गए थे, सामने से कैब आई और हम कैब में बैठे और नए गीत स्टार्ट करवाए, इसी बीच हम रेलवे स्टेशन पहुंच गए ।
हमने टिकट ऑनलाइन बुक कर दिए थे और हमारी विंडो सीट थी, ट्रेन जयपुर - प्रयागराज सुपरफास्ट एक्सप्रेस जो दोपहर 3:20 से रात्रि 8:00 तक।
स्टेशन के प्लेफार्म पर ट्रेन की राह देख रहे थे और टाइमपास भी कर रहे थे कि ट्रेन आ जाए समय पर आज ट्रेन भी 1 घंटा लेट थी। जैसे तैसे करके ट्रेन आई और हमने सोचा यही ट्रेन हैं और हम बैठ गए कुछ समय सेकंड बाद ही हम पता चला की ये ट्रेन मथुरा से जयपुर आई हुई हैं और हम गलती से उस ट्रेन में बैठे थे, वक़्त रहते हम पता चल गया जब स्टेशन पर पानी की बोतल वाला चिल्ला रहा था मथुरा ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर आएगी और हम प्लेटफॉर्म 2 पर है ट्रेन में। सही समय पर हम बाहर आ गए और हमने अपनी ट्रेन पकड़ ली और हम अपने आप पर हसी आ रही थी क्युकी दोनों ट्रेन का नाम एक और समय अक साथ ही गाड़ी नंबर भी एक, ट्रेन प्लेटफॉर्म से चली और शहर से बाहर जाते ही प्राकृतिक हवा और हरियाली दिख रही थी जिसे विंडो सीट से फील करना अलग ही आनंद होता है। यात्रा के दौरान हम मथुरा पहुंचे, रात के समय में गेट नंबर 1 की जगह हम गेट नंबर 2 से बाहर आ गए जिससे बाहर देखा तो सुनसान जगह न कोई इंसान न जानवर फिर हम थके थके रिटर्न प्लेटफार्म को पार करके गेट नंबर 1 से बाहर आए हमने बिना सोचे सीधे ही होटल में रूम लिया और रात का डिनर करके से गए।
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The three of us put our belongings in our bags and we were ready. Ola got the cab booked at 2:30 in the afternoon and by the time the cab arrived we had locked the room and came out of the room, the cab came from the front and we sat in the cab and got new songs started, meanwhile we reached the railway station.
We booked the tickets online and we had a window seat, Jaipur - Prayagraj Superfast Express train from 3:20 pm to 8:00 pm.
On the platform of the station, we were looking at the path of the train and were also passing the time pass so that the train was late for 1 hour on time. As soon as the train came and we thought that this is the train and we sat down after a few seconds, we came to know that this train was coming from Mathura to Jaipur and we were accidentally sitting in that train, we came to know when the station But the water bottle was screaming that Mathura train will come on platform number 3 and we are on platform 2 in the train. We came out at the right time and we caught our train and we were laughing at ourselves. Because the name of both the train was another time, as well as the train number one, the train moved from the platform and the natural breeze and greenery was seen on the way out of the city, which is a different joy to feel from the window seat. During the journey we reached Mathura, at night time we came out of gate number 1 instead of gate number 2, so when we looked outside, there was no place for any humans nor animals. We took the room directly to the hotel without thinking and went to dinner.
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अगली सुबह 6 बजे हमने होटल से बाहर आकर कूलड़ में चाय पी और साथ ही ब्रेकफास्ट किया। 6:30 बजे ऑटो रिक्शा से हम श्री कृष्ण जन्मभूमि गए जहां हमने चलो और पुलिस की निगरानी थी। जन्मभूमि ही कंश का किला है कृष्ण भगवान का जन्म कारागृह मै ही हुआ था, जन्म स्थान को गर्भ गृह कहते है।
किले में प्रवेश से पहले हमसे मोबाइल, कैमरे सब बाहर रखवा दिए जाते है फोटो खींचना मना है। पुलिस द्वारा चेकिंग के बाद प्रवेश दिया गया और हमने गर्भ गृह के बाहर से प्रसाद ली जिसकी पहले से सब दुकानों पर फिक्स मात्रा और रुपए थे। कुछ समय बाद हम लाइन में लगे और गर्भ ग्रह में प्रवेश के बाद दर्शन किए जो कि अलग ही नजारा था । कृष्ण का जन्मावस्था का। उसके बाद आस पास छोटे बड़े मंदिर थे जहा हमने दर्शन किए।
यह से हम द्वारकाधीश मंदिर और बांके बिहारी, यमुना घाट जाना था जो कि सब पास पास ही थे, तो हमने पैदल ही चलना प्रारंभ किया और पहले द्वारकाधीश मंदिर गए वहा का दृश्य अलग ही था इस स्थान पर आने पर आप सब मोह माया से दूर हो जाएंगे और राधे राधे का जाप करेंगे आपके न चाहते हुए भी आपके मुंह से राधे राधे शब्द जरूर निकल जाते है
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The next morning at 6 o'clock we came out of the hotel and drank tea in Kulad and also had breakfast. At 6:30 pm we went to Shri Krishna Janmabhoomi by auto rickshaw where we had a walk and the police was supervised. Janmabhoomi is the fort of Kansh, Lord Krishna was born in prison, the place of birth is called womb house.
The next morning at 6 o'clock we came out of the hotel and drank tea in Kulad and also had breakfast. At 6:30 pm we went to Shri Krishna Janmabhoomi by auto rickshaw where we had a walk and the police was supervised. Janmabhoomi is the fort of Kansh, Lord Krishna was born in prison, the place of birth is called womb house.
Before entering the fort, mobiles, cameras are kept outside, we are not allowed to take photographs. The police gave entry after checking and we took the prasad from outside the womb house which already had fixed quantity and money at all the shops. After some time we got in line and after entering the planet of the womb, we saw a different view. Of the birth of Krishna. After that there were small big temples nearby where we visited.
From this we had to go to Dwarkadhish Temple and Banke Bihari, Yamuna Ghat which were all close by, so we started walking on foot and went to Dwarkadhish Temple before. Will be done and you will chant Radhe Radhe, even if you don't want Radhe Radhe words come out of your mouth.
JANMBHUMI / KANSH KILA |
यहाँ पर राधे राधे नाम हर गली मोहल्ले में गूंजता है , आने जाने वाले सभी लोग एक दूजे को राधे राधे बोलते है चाहे वो अनजान हो या जान पहचान का इन्सान सभी को राधे राधे का सलाम,
हम रंगनाथ जी के मंदिर जा रहे थे रिक्शा से हम वहा मंदिर से कुछ दुरी पर उतर गये, यहाँ हम पैदल चलने लगे और आस पास दुकान से बोल रहे थे की अपने अपने चस्मा संभाल दो और उतार कर अपनी जेब में रख दो वरना यहाँ के बन्दर इसे चुरा ले जायेंगे, हमने इसे नहीं माना और आगे चलते रहे |
मंदिर में हम पहुचे तब मंदिर बंद था यहाँ का मंदिर दक्षिण की शैली से बना हुआ था और यहाँ दो कुंड बनी हुई थी जिसमे पानी था मंदिर परिसर में पंडितो के लिए पुराने समय की कोठडी बनी हुई ह जो लगभग पचास होगी, मंदिर परिसर में बहुत कुछ था एक बड़ी बात जो यहाँ की बंदर इन्सान की तरह समझदार है बंद इन्सान का चस्मा और हैंडबैग ले जाते है उसकी एक खास बात जो की वो लोटा भी देते अपना सामान लेकिन उन्हें इसके बदले में फ्रूटी देनी होती है , माना जाता है की श्री कृष्णा माखन चोर थे उनकी उसी परंपरा को आज भी ये बन्दर निभा रहे है
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Here the name Radhe Radhe resonates in every street, all the people who come here speak Radhe Radhe to a couple, whether it is unknown or a person of identity, salute Radhe Radhe to all,
We were going to the temple of Ranganath ji, with a rickshaw, we got off from the temple at some distance, here we started walking and were talking from around the shop to take care of our glasses and take them off in your pocket or else The monkeys will steal it, we did not believe it and keep going.
When we reached the temple, the temple was closed. The temple was built in the style of the south and there were two pools in which there was water. There is an old-fashioned room for the pandits in the temple complex, which will be about fifty, in the temple premises is very There was something big, which is as sensible as the monkey man here; Clothes of humans and carry handbags, a special thing of that is that they give lotta their belongings but in exchange for this Not a good idea to Frutti, Mr considered Krishna Makhan were thieves that their tradition is also playing the monkey today
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YAMUNA RIVER GHAT |
मंदिर परिसर में मेरा चस्मा लेकर बंदर भाग गये और कुंड की दिवार पर जाके बैठ गये और चिल्लाने ले, अचानक मुझे पहले पता ही न चला की क्या हुआ मेरे साथ फिर देखा तो सामने कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था धुंधला दिखाई दे रहा तब समझा मेरा चस्मा ले गये, लोगो की वहा भीड़ हो गई और वो मजे लेने लगे, मेरा दोस्त वहा से तुरंत भाग कर फ्रूटी लेने गया और दूसरा दोस्त वाही पर बन्दर पर निगाहे रखे था कुछ टाइम बाद उसे फ्रूटीदी और चस्मा ले लिया मेने और उसे जेब में दल दिया साथ ही मंदिर खुल गया और मंदिर में रंगनाथ जी के दर्शन किये जिसका रूप अद्भुत था, इसका वर्णन नहीं कर सकता, एक अद्भुत मन्दिर में एक सोने का पिलर भी है जिसकी बहुत सारी कथाए है।
यहाँ से हम लोग गोकुल गये जो की यहाँ से 24 किलोमीटर दूर था जिसके लिए हमे ऑटो करना पड़ा, यहाँ आने के लिए हमे यमुना नदी को पर करके आना होता है यहाँ आते आते शाम हो गई थी यहाँ पर पर कृष्णा जी का मंदिर है जहा लालन पालन हुआ है, यही पर इन्होने रास लीला की थी यहाँ वही पेड़ आज भी है जहा से गोपिओ को छेड़ा करते थे. उसके यहाँ से हम रमण रेती मंदिर गये जो पंडितो का विधालय भी है, यहाँ पर हाथी श्री कृष्णा की पूजा करता है पहले हाथी और हथिनी दोनों थे कालांतर में हथिनी की मृत्यु हो गई अब हाथी अकेला पूजा करता है,
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In the temple premises, the monkey escaped with my chase and sat down on the wall of the pool and shouted, suddenly I did not know what happened to me and then I saw something in front of me, then there was nothing visible in front of me and then I saw it Chased me, the crowd got crowded and they started having fun, my friend ran away from there to take the fruity and another friend was watching the monkey on the same place after some time he got the fruit. Nidhi and Chasma took me and gave him a pocket, as well the temple opened and saw Ranganathji in the temple, whose form was amazing, cannot describe it, there is also a gold pillar in a wonderful temple with many stories. is.
From here, we went to Gokul, which was 24 km away from here, for which we had to auto, to come here, we have to come on the Yamuna river, here it was evening, there is a temple of Krishna ji here. Care has been taken, this is where he did Ras Leela, the same tree is still here from where he used to tease Gopio. From here we went to Raman Reti temple which is also the school of Panditos, here the elephant worships Shri Krishna. Earlier both elephant and elephant were both. Hathini died in the past, now elephant alone worships,
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LOVE TEMPLE |
RAMAN RETTGOKUL |
वेसे यहाँ देखा जाये तो हर गली गली में मंदिर ही मंदिर है यहाँ लगभग 5000 से भी ज्यादा मंदिर है जिसे देखते देखते कई दिन लग जायेंगे लेकिन हमारे पास इतना समय नहीं था जो सबसे ज्यादा फेमस मंदिर है वहा वहा गये है यहाँ से हम प्रेम मंदिर घुमे जो आधुनिक मंदिर है इस मंदिर में श्री कृष्णा की रस लीलाए दिखाई गई है और गाय के साथ राधा का स्वरुप यहाँ पूरी लीला दिखाई गई है इस मंदिर में लाइटिंग है जो अलग अलग होती है इसे थ्रीडी मंदिर बनाया गया है, ये मंदिर भी अच्चा मंदिर है इसकी फोटो हमने दिखाई है रात के 8 बज गये है खाना खाकर हम यहाँ से ट्रेन से आगरा के लिए निकलेंगे जो की 11 बजे है टिकिट सरे ऑनलाइन कर दिए है बस अभी रात का खाना आया और रेलवे स्टेशन की और निकल पड़े, घूमते घूमते हमे पुरे दिन में खाने का ख्याल नहीं आया, खाना भी रात में खाया है
रात के 11 बजने वाले है और हमारी ट्रेन आने वाली है चलो फिर मिलते है आगरा में .............
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If you look here, there is a temple in every street, there are more than 5000 temples here, which will take many days to see, but we did not have much time, which is the most famous temple there, we have gone from here to Prem temple. Ghume which is a modern temple is shown in this temple with the juice of Shri Krishna and the whole form of Radha with cow is shown here. This temple has lighting which is different. It has been made a 3D temple, this temple is also a good temple, we have shown its photo, it is 8 o'clock in the night, after having dinner, we will leave for Agra by train, which is at 11 o'clock, the tickets have been made online. Dinner came and went towards the railway station, while wandering, we did not think of eating in the whole day, the food is also eaten at night