YAMNOTRI ( यमुनोत्री धाम )











यमुनोत्री धाम ( YAMNOTRI )
उत्तराखंड
मार्च 2019

भारत के उत्तराखंड राज्य में अनेक देव स्थान है जिसके कारण इसे देव भूमि कहा जाता हैयहाँ वैसाख अक्षय तृतीय के बाद इन धामों के कपट खुल जाते है| यमुना नदी यमुनोत्री से निकलती है जो पवित्र नदी है| सर्दियो में यहाँ बहुत बर्फ पड़ती है जिसके कारण यहाँ के कपाट बंद कर दिए जाते है| यमुनोत्री से कुछ  दुरी पर स्थित  खरसाली  गाँव में पूजा की जाती है | यहाँ सर्दियो में पूजा होती है यहाँ से गर्मियो के दिनों में धूमधाम से यात्रा निकली जाती है| और माँ के मंदिर में लाई जाती है|
There are many dev places in Uttarakhand state of India due to which it is called Dev Bhoomi. Here, after the Vaisakh Akshay III, the treasures of these shrines are opened. Yamuna river originates from Yamunotri which is a holy river. In winters, there is a lot of snow here due to which the doors are closed. Worship is done in Kharsali village, some distance away from Yamunotri. Worship is done here in winters. From here, the journey is done with great pomp on hot days. And brought to the mother's temple.

यमुनोत्री धाम
यमुनोत्री धाम 

यमुना नदी का उदगम स्थल यमुनोत्री है| यमुना नदी यमुनोत्री से निकल कर इलाहबाद में गंगा और सरस्वती नदी में मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है
Yamunotri is the origin of the river Yamuna. Yamuna river originates from Yamunotri and forms the Triveni Sangam in Allahabad along the Ganges and Saraswati rivers.


हरिद्वार से यमुनोत्री
Haridwar to Yamunotri


यमुनोत्री जाने के लिए हरिद्वार से सुबह सुबह बस मिल जाती हैं यमुनोत्री जाने के लिए केवल सड़क मार्ग ही उपलब्ध है। हरिद्वार से यमुनोत्री जाने वाली बस में हमारी टिकिट बुक थी। हम आज(अगले दिन) सुबह बस से यमुनोत्री के लिए निकल गए। सुबह का वक्त है मौसम ठंडा है।
Buses are available from Haridwar in the morning to Yamunotri, only road is available to reach Yamunotri. We had a ticket book in the bus going from Haridwar to Yamunotri. We left for Yamunotri in the morning today (next day). The weather is cold in the morning.

यमुनोत्री जाने के लिए हमारे पास दो रास्ते है पहला रास्ता देहरादून चकराता हुआ जाता हुआ है जिसकी दुरी 223 किलोमीटर है| और दूसरा रास्ता ऋषिकेश, नरेन्द्र होता हुआ धरासू से जाता है|
To go to Yamunotri, we have two routes, the first one is Dehradun, which is 223 kilometers away. And the other way goes through Rishikesh, Narendra to Dharasu.

हरिद्वार से आगे रास्ते में 20 किलोमीटर दूर ऋषिकेश आता है| जहां पहली बार गंगा नदी पहाड़ों से उतर कर जमीन पर बहती है। ऋषिकेश से पहाड़ी रास्ते प्रारंभ हो जाते हैं यहां घुमावदार रास्ते हैं। यहाँ से नरेन्द्र नगर से होते हुए धरासू पंहुचा जाता है यहाँ से बायीं तरफ का रास्ता यमनोत्री जाता है और दाई तरफ का रास्ता उत्तरकाशी होते हुए गंगोत्री जाता है| उत्तरकाशी एक  जिला मुख्यालय है| धरासू से बायीं तरफ आगे जाने पर जानकी चट्टी आता है जो की यमुनोत्री जाने का अंतिम स्थान है| यहाँ से 7 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी होती है|  
Rishikesh comes 20 kilometers on the way ahead from Haridwar. Where for the first time the river Ganga flows from the mountains to the land. The hill routes start from Rishikesh. There are winding paths here. From here, the Dharasu reaches through the city of Narendra, from here the path on the left goes to Yamanotri and the path on the right side goes to Gangotri via Uttarkashi. Uttarkashi is a district headquarters. Going forward from Dharasu to the left, Janaki Chatti comes, which is the last place to go to Yamunotri. One has to travel 7 km from here.

जानकी चट्टी से उत्तराखंड सरकार द्वारा निच्चित दर पर पालकी और खच्चर मिल जाते है| पहाड़ो से आवाज करते हुए यामुना नदी निचे आती है| और यहाँ का मौसम ठंडा रहता है| 2 से 3 घंटे में मंदिर पहुच जाते है|
Sedan and mule are available from Janaki Chatti at the rate fixed by the Government of Uttarakhand. Yamuna river comes down while making sounds from the mountains. And the weather here is cool. Reach the temple in 2 to 3 hours.
यमुना नदी
यमुना नदी


यमुना नदी का उदगम स्थल कालिंदी पर्वत पर सप्त ऋषि कुंड से होता है जो मंदिर से 1 किलोमीटर ऊपर स्थित है जिसका रास्ता दुर्गम और कठिन है| बहुत कम लोग ही यहाँ पहुच पते है|  यमुनोत्री में दोपहर के बाद वर्षा प्रारंभ हो जाती है| इससे बचाव के लिए यहाँ रेन कोट मिलते है जिसका मूल्य 25 से 30 रुपये होता है| यमुना माँ के मंदिर का निर्माण टीहितिगढ़ के रजा सुदर्शन ने करवाया था|  जो बाढ और अत्यधिक वर्षा के कारण टूट गया था जिसका पुनः निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया द्वारा करवाया गया|
The Yamuna river originates from the Sapta Rishi Kund on the Kalindi mountain, which is located 1 km above the temple, whose path is difficult and difficult. Very few people reach here. In Yamunotri, the rain starts after noon. To avoid this, rain coat is available here, which costs 25 to 30 rupees. Yamuna Maa's temple was built by Raza Sudarshan of Tehittigarh. Which was broken due to flood and excessive rainfall, which was rebuilt by Empress Guleria of Jaipur.

प्राचीन कहानी
Ancient story

प्राचीन कहानी के अनुसार अषित ऋषि के वृदावस्था के कारण सप्त ऋषि कुंड में स्नान करने नहीं जा सके इसलिए माँ ने इनकी श्रदा को देखकर माँ यमुना उनकी कुटीया से प्रकट हो गई| कालांतर में यहाँ मंदिर बनाकर यहाँ पूजा की जाती है|
According to the ancient story, Sapta Rishi could not go to bathe in the pool due to old age of sage Ashta, so mother Yamuna appeared from her hut after seeing his sight. Later, a temple is built here and worshiped here.


माँ यमुना के मंदिर के पास दो गर्म कुण्ड है एक कुंड में महिलाये तथा दुसरे कुंड में पुरुष स्नान करते है| सूर्य कुंड का तापमान अधिक रहता है| यहाँ श्रदालु आलू और चावल को कपडे की पोटली में रखकर गरम किया जाता है|  इन्ही चावल का भोग लगाया जाता है|  जिसको प्रसाद के रूप में घर ले जाते है| 
There are two hot pools near the temple of Mother Yamuna, women in one pool and men bath in the other pool. The temperature of Surya Kund is high. Here the potatoes and rice are heated in a cloth bundle. These rice are offered. Which are taken home as offerings.
सूर्य कुंड
सूर्य कुंड

नोट –  यमुनोत्री में ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए जानकी चट्टी से जल्दी सुबह निकलना चाहिए और शाम होते हुए जानकी चट्टी पंहुचा जा सके|     
Note -  There is no arrangement for staying in Yamunotri, therefore, Janaki Chatti should leave early in the morning and Janaki Chatti can be reached by evening.

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