KEDARNATH (केदारनाथ)
July 2019
दोस्तों
आपको भी केदरनाथ धाम जाना है तो आपके मन में भी बहुत से सवाल होंगे कब जाऊ, केसे
जाऊ, क्या क्या सामान साथ ले जाऊ, कहा
रुके , कहा से बस मिलेगी, वेसे पुरे देश भर से यहाँ लोग आते है|
सबसे अच्चा तरीका हरिद्वार से जाये| हरिद्वार पुरे देश से जुदा हुआ है रेल मार्ग और बस मार्ग
से| यहाँ से केदारनाथ के लिए बस और टेक्सी चलती है| हरिद्वार से सोनप्रयाग और
सोनप्रयाग से गोरीकुंड, यहाँ से केदारनाथ के लिए 16 किलोमीटर पैदल यात्रा या घोड़े,
बास्केट से जा सकते है| इस पैदल यात्रा के बाद आप केदारनाथ पहुच जायेंगे|
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Friends, if you also want to go to Kedarnath Dham, then
you will also have many questions in your mind when to go, how to go, what
goods to take with you, where you stopped, where you will get the bus, people
come from all over the country.
The best way to go is from Haridwar. Haridwar is
connected to the whole country by rail and bus route. The bus and taxi to
Kedarnath run from here. From Haridwar to Sonprayag and from Sonprayag to
Gorikund, from here one can travel 16 km to Kedarnath or go by horse, basket.
After this trek, you will reach Kedarnath.
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हम जयपुर से दिल्ही
होते हुए हरिद्वार “उदयपुर सिटी हरिद्वार एक्सप्रेस” से 10:00 से अगले
दिन 10:30 बजे तक पंहुचा देती है| लगभग 12:30 घंटे का रास्ता है| हरिद्वार से
सोनप्रयाग (बियो मेट्रिक रजिस्ट्रेसन 7 दिन तक चलेगा 20 रुपये) से गोरीकुंड वाही
के ही टेक्सी चलती है 5 km, गोरी कुंड से 16 km है|
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We reach Haridwar "Udaipur City Haridwar Express"
via Jaipur from Delhi from 10:00 to 10:30 the next day. About 12:30 hours is
the way. From Haridwar to Sonprayag (bio metric registration will run for 7
days Rs 20), the taxicab of Gorikund Wahi is 5 km, 16 km from Gori Kund.
kedarnath dham |
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मैं दोस्तों के साथ जयपुर होते हुए उदयपुर सिटी हरिद्वार एक्सप्रेस से हरिद्वार चला गया, इस 12:30 घंटे के सफर में
हम राजस्थान से हरियाणा, दिल्ली से होते
हुए उत्तराखंड राज्य में पहुंचे जहा हरियाली अच्छी है ओर दिल्ली से हरिद्वार का
सफर अच्छा रहा क्युकी मौसम अच्छा ठंडा ओर घूमने लायक था। हरिद्वार में हम दूसरे दिन10:50 बजे पहुंचे यहां से हम बस स्टॉप चले आए और यही
से सोनप्रयाग के लिए बस मिलती है। लेकिन यहां पहले से सारी बसे बुक थी इसलिए हमने
अगले दिन कि सीट बुक करवाकर आज यही रहना सही समझा। हमने यहां रात गुजारने के लिए
एक होटल में कमरा लिया और हमने यहां हमारा सामान रखा और हम सब नहा - धोकर तैयार हो
गए। हमने भी मान लिया कि गंगा मां ने यही
रुकने को कहा है और अपने पास बुलाया है दर्शन के लिए तो हम सब तैयार हुए और चाय -
नाश्ता कर गंगा मां के पवित्र घाट की ओर चले आए। यहां हमने पूजा करवाई और नहाए
दर्शन करके जो यहां का एक पवित्र मंदिर है गंगा माता का लाल रंग का एक मंदिर है।
यहां घाट पर बैठे तब हमारी गंगा नदी में
हाथ डालने की हिम्मत न हो रही थी, फिर भी ठंडा पानी
इतना था कि हम ही बर्फ बन जाए। हमने यहां स्नान किया और यहां से शाम होते ही हम
रूम पर आ गए और यहां से हमने बाहर होटल से खाना खाया, रात हो चुकी है हम सो गए थे अब कल सुबह केदारनाथ के लिए
जाएंगे। यहां हरिद्वार की फोटो हमने नहीं
ले पाए।
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I went to Haridwar via Udaipur
City Haridwar Express via Jaipur with friends, in this 12:30 hour journey we
reached Uttarakhand state from Rajasthan to Haryana, Delhi where the greenery
is good and the journey from Delhi to Haridwar was good because The weather was
good cold and worth visiting. We arrived in Haridwar at 10: 50 am the next day,
from here we came to the bus stop and from here we get a bus to Sonprayag. But
there was already all the settled book here, so we got it right today by
booking the seat for the next day. We took a room in a hotel to spend the night
here and we put our luggage here and we all got ready for a bath. We have also
agreed that Ganga Maa has asked to stop this and has called to herself, so we
all got ready for darshan and came to the holy ghat of Ganga Maa after having
tea and breakfast. Here we have puja done and a darshan done, which is a sacred
temple here, there is a red temple of Ganga Mata. While sitting on the ghat
here, we did not have the courage to put our hands in the river Ganges, yet the
cold water was so much that we became ice. We took a bath here and from here we
came to the room at dusk and from here we ate food outside the hotel, it was
night we had fallen asleep, now tomorrow morning we will go to Kedarnath. We
could not take the photo of Haridwar here.
kedarnath dham |
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आज (अगली सुबह ) हम यहां (हरिद्वार) से केदारनाथ के लिए निकलेंगे। हमारी बस सुबह ही 8:00 बजे तैयार है और शाम के समय लगभग 4 या 5 बजे हम केदारनाथ
पहुंचा देंगे। अच्छा रहता है जब हम पहले
से टिकिट बुक करवा देते है। हम सभी दोस्त यहां(रूम) से अब बस स्टॉप के लिए निकल रहे है हम दोस्तो ने सारे समान, बैग उठा लिए और चल दिए अपनी मंज़िल की तरफ । हम बस स्टॉप आ
गए, हमने वैसे बस स्टॉप के पास
ही होटल में रूम बुक किया था जिससे हम जल्दी यहां पहुंच सके और फालतू की कोई
दिक्कत न हो। अभी हम बस स्टॉप पर है और यह
चाय पी रहे है साथ ही बस वाले बस में सवारी चढ़ा रहे है और कुछ ही समय में बस
रवाना हो जाएगी। हमारा चाय - नाश्ता हो गया है। हम भी बस में जाकर अपनी अपनी सीट
पर बैठ गए। और यहां से गंगा माता ओर केदारनाथ महादेव का जयकारा लगाकर बस रवाना हुई। बस में लोग बहुत दूर दूर से आए
हुए है और हमने बस में कुछ लोगो से बात की
तो कुछ लोग गुजरात से तो कुछ लोग महाराष्ट्र से आए हुए थे।
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Today (next morning) we will
leave here (Haridwar) for Kedarnath. Our bus is ready at 8:00 am and we will
reach Kedarnath at around 4 or 5 in the evening. It is good when we book
tickets in advance. All our friends are leaving for the bus stop from here
(room). We friends have picked up all the bags, bags and walked towards our
destination. We came to the bus stop, we had booked a room in the hotel near
the bus stop so that we could reach here quickly and there was no problem of
waste. Right now we are at the bus stop and are drinking this tea as well as
the bus is boarding the bus and in no time the bus will leave. Our
tea-breakfast is done. We also boarded the bus and sat in our seats. And from
here the bus left Ganga Mata and Kedarnath Mahadev. People on the bus are from
very far away and we talked to some people in the bus, some people came from
Gujarat and some people came from Maharashtra.
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बस से देखने पर ठंडी हवा के साथ साथ ही हरे भरे पहाड़ दिखाई देते है और ये
नदियां जिसमें पानी एक मीठी आवाज करते हुए बहता है। उत्तराखंड को देवी देवताओं की
जगह कहते है। बस से हम केदारनाथ पहुंचे तब तक आपको मै केदारनाथ की प्रचलित एक
कहानी बता देता हूं।
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On seeing the bus, green mountains are seen along with cold air and these rivers in which water flows making a sweet sound. Uttarakhand is called the place of Gods and Goddesses. By the time we reached Kedarnath by bus, let me tell you a popular story of Kedarnath.
On seeing the bus, green mountains are seen along with cold air and these rivers in which water flows making a sweet sound. Uttarakhand is called the place of Gods and Goddesses. By the time we reached Kedarnath by bus, let me tell you a popular story of Kedarnath.
Prachin kedarnath mandir |
Barf se dhake huye parvat |
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पांडव महाभारत के युद्ध में अपने सगे-संबंधियों की हत्या के
पाप से मुक्त होना चाहते थे। इसके लिए वे भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए काशी
पहुंचे, लेकिन उनसे नाराज
भगवान शिव केदार आ गए। पांडव उनको खोजते हुए केदार तक पहुंच गए, इस पर महादेव बैल का रूप लेकर पशुओं में शामिल
हो गए। पांडवों को इस बात का पता चल गया तो भीम ने विकाराल रूप धारण कर दो पहाड़ों
पर अपने पैर फैला दिए।
सभी पशु भीम के पैरों के नीचे से चले गए लेकिन भोलेनाथ नहीं
गए। बैल रूपी भगवान शिव भूमि में अंतर्ध्यान होने लगे तभी भीम उन पर झपट पड़े और
पीठ को पकड़ लिया। पांडवों की इच्छाशक्ति और भक्ति देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए और
पांडवों को दर्शन दिए। भगवान शिव के दर्शन से पांडव पाप मुक्त हो गए। तभी से बैल
की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में भगवान केदारनाथ की पूजा होती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बैल रूपी भगवान शिव जब अंतर्ध्यान हुए तो उनके धड़
से आगे का हिस्सा काठमाण्डू में प्रकट हुआ, जिससे वे पशुपतिनाथ कहलाए। भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट
हुए। इस वजह से केदारनाथ समेत इन पांच जगहों को पंचकेदार कहा जाता है।
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The Pandavas wanted to be free from the sin of
killing their relatives in the war of Mahabharata. For this they reached Kashi
to seek the blessings of Lord Shiva, but Lord Shiva came to resent them. The
Pandavas searching for them reached Kedar, Mahadev took the form of a bull and
joined the animals. When the Pandavas became aware of this, Bhima took a
vicious form and spread his legs on two mountains.
All the animals went under Bhima's feet but did
not go to Bholenath. Lord Shiva in the form of a bull began to penetrate the
land, when Bhima pounced on him and held his back. Seeing the will and devotion
of the Pandavas, Bholenath was pleased and appeared to the Pandavas. The
Pandavas were freed from the sight of Lord Shiva. Since then, Lord Kedarnath is
worshiped as the body of the bull's back. According to mythological beliefs,
when Lord Shiva in the form of a bull is buried, the front part of his torso
appears in Kathmandu, so that he is called Pashupatinath. The arms appeared at
Tungnath, the mouth at Rudranath, the navel at Madamsadeshwar and at Jata
Kalpeshwar. Due to this, these five places, including Kedarnath, are called
Panchkedars.
kedareshwar mandir |
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अब हम सोनप्रयाग पहुच गये है यहाँ से हमे गोरीकुंड जाने के लिया यहाँ की ही टेक्सी मिलेगी. इससे आगे बसे नहीं जाती है, बस का यहाँ अंतिम स्टॉप है| आगे हम यहाँ बायोमेट्रिक करवाकर हमने देखा की भीड़ ज्यादा हो रखी है इसलिए हमने सोचा यहाँ रात रुककर सुबह जल्दी निकल जायेंगे| तो हम यही रत रुके लेकिन यहाँ रूम का किराया महंगा है इसलिए हमने यहाँ सरकारी ब्तेंत में रहने का सोचा और वाही रहे सुबह जल्दी होते ही हम यहाँ से गोरीकुंड के लिए निकल गये| यहाँ हरियाली भी अच्छी है|
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Now we have reached Sonprayag, from here we will get taxis from here to go to Gorikund. It does not go further than this, the last stop of the bus here. Next, after getting biometric done here, we saw that the crowd is overcrowded, so we thought that we would stop here at night and leave early in the morning. So we stayed the same way, but room rent here is expensive, so we thought of staying here in the government center and as soon as it was early in the morning we left here for Gorikund. Greenery is also good here.
Now we have reached Sonprayag, from here we will get taxis from here to go to Gorikund. It does not go further than this, the last stop of the bus here. Next, after getting biometric done here, we saw that the crowd is overcrowded, so we thought that we would stop here at night and leave early in the morning. So we stayed the same way, but room rent here is expensive, so we thought of staying here in the government center and as soon as it was early in the morning we left here for Gorikund. Greenery is also good here.
sonprayag |
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हम गौरीकुंड पहुंचे है। यहाँ से 16 किलोमीटर की दूरी
है।केदारनाथ तीन तरह से जा सकते है पहला घोड़े से जा सकते है, जो की 2500 रुपये लगते है। दूसरा यहां से बास्केट में बैठ कर जा सकते है। तीसरा अच्छा तरीका पैदल
जाए, और प्रकृति का आनंद ले हम।
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We have reached Gaurikund. There is a distance of 16 kilometers from
here. Kedarnath can go in three ways, the first one can go by horse, which
costs 2500 rupees. Another can go from here sitting in the basket. The third
good way is to walk, and enjoy the nature.
Gorikund se Kedarnath |
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हम पैदल निकल गए और यहां चलते चलते प्रकृति के नजारे, बर्फीले पहाड़, झरने दिखाई देते है और इनकी मंद मंद आवाज जैसे
कोई संगीत संगीत भा रही हो प्रकृति। यहां से आगे जाते हुए शाम चार बज गए और बारिश
चालू हो गई। और कुछ वक्त बाद बन्द हो है , तब हम तुरंत चलना प्रारंभ
किया और शाम 6 बजे तक हम केदारनाथ पहुंच गए। और यहां से केदारनाथ मंदिर दिखा, शाम हो चुकी है इसलिए यहां दर्शन हो जाएंगे लेकिन जल्दबाजी में इसलिए रात यहां
रुक कर सुबह दर्शन करेंगे। फिर भी हम एक बार रात 8 बजने से पहले दर्शन
करेंगे। यहां थोड़ा आराम करके हम मंदिर में दर्शन कर आए है। यहां दर्शन किए है अभी, थके हुए है हम इसलिए अब अपने रूम में जाते है और सो जाते है डिनर करके।
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We got out on foot and while walking here, the views of nature, icy
mountains, waterfalls are visible and some kind of music like their dull voice
is listening to nature. Going ahead from here, it was four in the evening and
the rain started. And after some time it is closed, then we immediately started
walking and by 6 pm we reached Kedarnath. And from here the Kedarnath temple
showed up, it is evening, so there will be darshan here, but in a hurry
therefore, stop here at night and see dawn. Even then we will see once before
night 8. After taking some rest here, we have come to see the temple. Visited
here right now, we are tired, so now we go to our room and go to sleep by
having dinner.
himnad nadi |
chadhai kedarnath |
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अगली सुबह हम यहां ठंड में नहाकर मंदिर की लाइन में लग गए है। यहां मंदिर मे
लाइन साइड से बनी हुई है और सामने कोई भीड़ नहीं है जिससे सामने से हर किसी को
दर्शन हो जाते है। और आराधना कर सकते है सामने बैठकर। .
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The next morning, we are here in the cold and bathed in the line of the temple. Here the line in the temple is made from the side and there is no crowd in front of which everyone is seen from the front. And can worship by sitting in front.
The next morning, we are here in the cold and bathed in the line of the temple. Here the line in the temple is made from the side and there is no crowd in front of which everyone is seen from the front. And can worship by sitting in front.
shivling kedarnath |
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यहां से दर्शन किया और यहां प्रतिमा का श्रृंगार किया हुआ है। महादेव का नाम
गूंज रहा है। यहां एक तरह से हम शिव की भक्ति में लीन हो जाते है। यहां से हम
मंदिर के पीछे भीमशीला है जिसने 2013 में आई बाढ़ और प्रलय से शिव मंदिर को बचाया, इस भीमशीला की लंबाई इस
मंदिर के बराबर है, इसने मंदिर को कुछ भी नुकसान नहीं होने दिया।
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Visited from here and the statue is decorated here. Mahadev's name is echoing. Here we get absorbed in devotion to Shiva. From here we are at the back of the temple, which saved the Shiva temple from the 2013 floods and the Holocaust, the length of this Bhimashila is equal to this temple, it did not let the temple do any harm.
Visited from here and the statue is decorated here. Mahadev's name is echoing. Here we get absorbed in devotion to Shiva. From here we are at the back of the temple, which saved the Shiva temple from the 2013 floods and the Holocaust, the length of this Bhimashila is equal to this temple, it did not let the temple do any harm.
nandi kedareshwar mahadev |
nandi kedareshwar mahadev |
इसलिए इसे भीमशिला नाम दिया और इसकी पूजा की जाती है। इनकी पूजा हमने भी की है
और इसकी फोटो अपलोड किया है। मंदिर के बाहर
शिव जी के सामने एक नंदी है जिसका शिव जी से गहरा संबंध है। नंदी शिव जी का वाहन
है।
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Hence it is named Bhimshila and it is worshiped. We have also worshiped him and uploaded his photo. Outside the temple, there is a Nandi in front of Shiva who has a deep connection with Shiva. Nandi is the vehicle of Shiva.
Hence it is named Bhimshila and it is worshiped. We have also worshiped him and uploaded his photo. Outside the temple, there is a Nandi in front of Shiva who has a deep connection with Shiva. Nandi is the vehicle of Shiva.
nandi |
bhimshila kedarnath |
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यहां से हमने चारो ओर बर्फीले पहाड़ देखे जो एक अलग ही नजारा है। यहां मान्यता
है कि इस मंदिर को आदि शंकराचार्य ने बनाया है यहां इनकी समाधि भी है। लेकिन
पांडवो के यहां आने और पांडवो द्वारा बनाए जाने की मान्यता है इस मंदिर को।
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From here we saw icy mountains all around, which is a different view. It is believed here that Adi Shankaracharya has built this temple and his samadhi is also here. But this temple is recognized by Pandavas coming here and built by Pandavas.
From here we saw icy mountains all around, which is a different view. It is believed here that Adi Shankaracharya has built this temple and his samadhi is also here. But this temple is recognized by Pandavas coming here and built by Pandavas.
ratrikalin mandir kedarnath |
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यहां से हम पैदल गौरीकुंड के लिए निकले और गौरीकुंड से सोनप्रयाग टैक्सी से
निकले और सोनप्रयाग से हम बद्रीनाथ धाम के लिए निकलेंगे जिसके लिए सोमप्रयाग से
मिलेगी बस। चलो मिलते है बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर।
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From here we left for Gaurikund on foot and from Gaurikund to Sonprayag taxi and from Sonprayag we will leave for Badrinath Dham for which a bus from Somprayag will be available. Let's meet on a journey to Badrinath Dham.
From here we left for Gaurikund on foot and from Gaurikund to Sonprayag taxi and from Sonprayag we will leave for Badrinath Dham for which a bus from Somprayag will be available. Let's meet on a journey to Badrinath Dham.
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